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लेसन 4: सीखने को बेहतर बनाने हेतु शिक्षकों के लिए रणनीतियाँ

रिकैप: विभेदित अधिगम (Differentiated Learning) और फ्लिप कक्षा (Flipped Classroom)

सीखने को बेहतर बनाने हेतु शिक्षकों के लिए अडवांस रणनीतियाँ

रिकैप: विभेदित अधिगम (Differentiated Learning) और फ्लिप कक्षा (Flipped Classroom)

विभेदित अधिगम (डिफ्रेंशिएटेड लर्निंग)

हमारे विद्यार्थियों में अलग-अलग प्रतिभाएँ एवं उनके समक्ष अलग-अलग चुनौतियाँ होती हैं। आपने अवश्य देखा होगा कि विद्यार्थियों में उनकी पसंद, रुचियों, सीखने के स्तर, प्रेरणा के स्तर आदि के संबंध में व्यापक विविधता होती है। ये अंतर मायने रखते हैं और एक सफल शिक्षक सोच-समझकर एवं सक्रिय रूप से इन पर ध्यान देता है।
शिक्षक द्वारा अलग-अलग विद्यार्थियों की अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करने को ‘विभेदित अधिगम’ (Differentiated Learning) कहा जाता है।
एक शिक्षक अपनी कक्षा में अधिगम (लर्निंग) को दो माध्यमों से विभेदित कर सकता है - पहला है कॉन्टेंट और दूसरा है प्रक्रिया।
  • कॉन्टेंट में विभेद या अंतर करने का अर्थ है उस ज्ञान के स्तर, अवधारणाओं और कौशलों के आधार पर अंतर करना जिन्हें विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम (Curriculum) के आधार पर सीखने की जरूरत है। आप विद्यार्थियों के अधिगम के स्तर के आधार पर उनके लिए कॉन्टेंट में अंतर कर सकते हैं। आप विद्यार्थियों से उस कॉन्टेंट पर काम करने के लिए भी कह सकते हैं जिसमें उन्हें मदद की आवश्यकता है।
  • प्रक्रिया में विभेद या अंतर करने का अर्थ है एक ही कौशल या अवधारणा को सिखाने के लिए अलग-अलग विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग रणनीतियों का उपयोग करना। आप विद्यार्थियों के अलग-अलग समूहों के लिए अलग-अलग रणनीतियों का उपयोग कर सकते हैं।

खान एकेडमी पर विभेदित अधिगम (Differentiated Learning at Khan Academy)

अपनी कक्षाओं में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों में विद्यार्थियों की अलग-अलग अधिगम आवश्यकताओं को पूरा करना, अलग-अलग स्तर के बच्चों के लिए अलग-अलग एवं उपयुक्त कॉन्टेंट ढूँढना या उन विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करना जो एक उन्नत स्तर पर हैं, आदि शामिल हैं। खान एकेडमी आपके विद्यार्थियों की अधिगम आवश्यकताओं को पहचानने एवं उनमें अंतर करने में आपकी सहायता करती है। खान एकेडमी में आप यह कार्य कॉन्टेंट एवं प्रक्रिया के द्वारा कर सकते हैं।
  • आप ‘असाइनमेंट’ टैब के तहत ‘स्कोर' टैब पर क्लिक करके और इसी प्रकार ‘कोर्स मास्टरी' टैब के तहत रिपोर्ट्स प्राप्त कर सकते हैं। इन रिपोर्ट्स का उपयोग प्रत्येक विद्यार्थी के अधिगम स्तर को पहचानने और उन्हें वह कॉन्टेंट सौंपने के लिए करें जिनमें विद्यार्थी को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • विद्यार्थियों में अधिगम अंतराल (Learning gaps) और अवधारणाओं की गलत समझ (Misconceptions) का पता लगाने के लिए खान एकेडमी में उपलब्ध अभ्यासों (Exercises) का उपयोग करें। इससे प्राप्त जानकारी के आधार पर आप अंतराल को समाप्त करने के लिए विद्यार्थियों को वीडियो या अभ्यास कार्य सौंप सकते हैं।
  • आप विद्यार्थियों को कक्षा में आने से पहले संबंधित वीडियो देखने के लिए और टॉपिक को एक-दूसरे से समझने के लिए भी कह सकते हैं।

फ्लिप कक्षा (Flipped Classroom)

फ्लिप अधिगम (Flipped Learning) की शुरुआत 2007 में जोनाथन बर्गमैन और आरोन सैम्स द्वारा की गई थी। उनका उद्देश्य इसके माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरित रखने और अध्ययन के प्रति उनकी संलग्नता से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करना था।

पारंपरिक कक्षा

यहाँ शिक्षक
  • टॉपिक को कक्षा के भीतर पढ़ाता है।
  • विद्यार्थी अपने शिक्षक के व्याख्यान सुनकर टॉपिक को समझते हैं।
  • इसके बाद शिक्षक विद्यार्थियों को होमवर्क देता है।
  • इस प्रकार की कक्षा में शिक्षण का सामान्य क्रम होता है - कक्षा में पढ़ाना और उसके बाद घर में करने के लिए होमवर्क देना।

फ्लिप कक्षा

यहाँ शिक्षक
  • शिक्षण एवं अधिगम की प्रक्रिया को पलट देता है, अर्थात वह विद्यार्थियों से घर पर बुनियादी अवधारणाओं का अध्ययन करने और कक्षा में उन अवधारणाओं को गहराई से समझने के लिए कहता है।
  • शिक्षण की प्रक्रिया को तीन भागों में विभाजित करता है जो इस प्रकार हैं:
  • ‘कक्षा से पहले’ का भाग, जिसमें शिक्षक विद्यार्थियों से घर पर कुछ अध्ययन कार्य करने या कॉन्टेंट पढ़ने/सुनने/वीडियो देखने के लिए कहता है।
  • ‘कक्षा के दौरान का भाग, जिसमें विद्यार्थी अवधारणा की समझ बढ़ाने और उसे गहराई से समझने के लिए सामूहिक रूप से कुछ प्रायोगिक गतिविधियां करते हैं।
  • ‘कक्षा के बाद' का भाग, जिसमें विद्यार्थियों की समझ की जाँच करने के लिए उन्हें कुछ प्रश्न हल करने के लिए दिए जाते हैं।

सीखने को सुविधाजनक बनाने के लिए फ्लिप कक्षा मॉडल के लाभ:

  • विद्यार्थियों से विशिष्ट कॉन्टेंट को तैयार करके कक्षा में आने के लिए कहा जाता है। इससे उन्हें कक्षा में समझाए जाने वाले टॉपिक के बारे में कक्षा में आने से पहले ही कुछ ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
  • इस प्रक्रिया में विद्यार्थी स्वयं अध्ययन करने एवं सीखने की जिम्मेदारी लेते हैं।
  • वे टॉपिक को गहराई से समझने का प्रयास करते हैं और उसमें गंभीरतापूर्वक संलग्न हो जाते हैं।इससे उनके सीखने की प्रक्रिया बेहतर हो जाती है और फलस्वरूप उनके प्रदर्शन में भी सुधार होता है।
  • जब विद्यार्थी टॉपिक पर आपस में चर्चा करते हैं और उसके प्रस्तुतीकरण की दिशा में काम करते हैं तो उनमें आपसी सहयोग बढ़ता है, वे एक-दूसरे के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं और एक टीम के रूप में काम करते हैं। इससे उन्हें आपस में एक-दूसरे से सीखने का अवसर मिलता है। वे एक-दूसरे के प्रस्तुतीकरण से भी सीखते हैं।
  • आप देखेंगे कि जैसे ही विद्यार्थी बुनियादी अवधारणाओं को तैयार करके आए, रेणु मैम का बहुत सारा समय बच गया और वे विभिन्न गतिविधियों का संचालन कर सकीं। इससे पढ़ाई मजेदार हो गई।
  • फ्लिप कक्षा आपको विद्यार्थियों का रचनात्मक रूप से मूल्यांकन करने की अनुमति देती है क्योंकि वे सीखने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

अधिगम के फ्लिप कक्षा मॉडल को लागू करने के लिए खान एकेडमी का उपयोग करना

  • खान एकेडमी के पास पहले से तैयार कॉन्टेंट है जिसे पूर्व-अध्ययन कार्य के लिए आसानी से सौंपा जा सकता है।
  • आप पिछले अध्यायों या पिछली कक्षाओं के अभ्यासों का उपयोग करके पूर्व-ज्ञान का परीक्षण कर सकते हैं।
  • 'कक्षा के बाद' के भाग में आप क्विज़, अभ्यास कार्य और टेस्ट दे सकते हैं। आप ‘असाइनमेंट' टैब के तहत असाइनमेंट स्कोर को देखकर अधिगम अंतराल की जांच कर सकते हैं।

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