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कोर्स: कक्षा 10 गणित (इंडिया) > यूनिट 3
लेसन 4: रैखिक रूप में बदल जाने वाले समीकरणरैखिक रूप में बदल जाने वाले समीकरण हल करना
परिचय:
अब तक हमने कई सारे दो चरों वाले रैखिक समीकरणों के निकायों को हल कर लिया है। हमने प्रतिस्थापन और विलोपन जैसे विधियों के प्रयोग से ऐसे समीकरणों को हल किया है।
मगर तब क्या होता है अगर हमें समीकरणों का ऐसा युग्म दिया जाए जो रैखिक नहीं है?
देखा जाए तो यह और कठिन ही होता है। मगर कभी कभी हम उन समीकरणों के नए समुच्चयों में परिवर्तित कर देते हैं जो रैखिक होते हैं।
और फिर उन्हें हल करने की कोशिश करते हैं।
चलिए इसे समझने के लिए हम ऐसे एक प्रश्न को हल करते हैं।
प्रश्न:
एक नाव घंटे में धारा-प्रतिकूल और धारा-अनुकूल जाती है। वह घंटे में धारा-प्हारतिकूल और धारा-अनुकूल जा सकती है।
स्थिर पानी में नाव की निरंतर गति से चलती है और नदी की भी निरंतर गति है।
धारा-प्रतिकूल का मतलब पानी के बाहव के विरुद्ध जाना और धारा-अनुकूल का मतलब पाने के बहाव के साथ जाना।
स्थिर पानी में नाव की गति ज्ञात करें।
रणनीति:
हमें दो परिस्थितियाँ दी गई हैं जहाँ नाव कुछ देर धारा-प्रतिकूल और कुछ देर धारा-अनुकूल जाती है। नाव के द्वारा तय की गई कुल दूरी और कुल समय हमें ज्ञात है।
हमें जो नहीं पता है वह की गति और की गति है। यह हमारी अज्ञात चर हैं।
दोनों परिस्थितियों का प्रयोग करके हम दोनों अज्ञातों की मदद से दो समीकरण बना सकते हैं।
एक बार हमारे पास समीकरण होंगें, हम उन्हें हल करने की कोशिश कर सकते हैं
।
अगर समीकरण रैखिक नहीं है, तो हमें उन्हें हल करने के पहले रैखिक में परिवर्तित करना पड़ सकता है।
चरों से परिचित करना:
जब नाव धारा-प्रतिकूल जाती है जिसका मतलब पानी के बहाव के विरुद्ध जाती है।
जब नाव धारा-अनुकूल जाती है जिसका मतलब पानी के बहाव के साथ जाती है।
पहला समीकरण बनाना:
चलिए पहली परिस्थिति को देखते हैं।
नाव घंटे में धारा-प्रतिकूल और धारा-अनुकूल जाती है।
हम गति, दूरी और समय के संबंध का प्रयोग कर सकते हैं।
जब नाव धारा-प्रतिकूल जाती है,
जब नाव धारा -अनुकूल जाती है,
मगर नाव को कुल घंटे का समय लगता है।
दूसरी परिस्थिति का प्रयोग करके एक अन्य समीकरण बनाने की कोशिश करते हैं।
दूसरा समीकरण बनाना:
चलिए दूसरी परिस्थिति को देखते हैं।
नाव घंटे में धारा-प्रतिकूल और धारा-अनुकूल जाती है।
जब नाव धारा-प्रतिकूल जाती है,
जब नाव धारा -अनुकूल जाती है,
मगर नाव को कुल घंटे का समय लगता है।
अब क्योंकि हमारे पास दोनों समीकरण है , चलिए इन्हें हल करने की कोशिश करते हैं।
रैखिक रूप में परिवर्तन करना:
हमारे समीकरण रैखिक नहीं हैं। हमारे चर अभी हर में मौजूद हैं।
हमारा हमारी किस्मत अच्छी है कि और पद दोनों समीकरणों में मौजूद हैं।
अगर हम को और को से प्रतिस्थापित करते हैं, तो हम चरों को हर से हटा सकते हैं।
अब हम कुछ सही कर रहे हैं! आखिरकार हमारे पास दो चरों वाले दो रैखिक समीकरण हैं।
इसके आगे हम या तो प्रतिस्थापन विधि या फिर विलोपन विधि का प्रयोग करके आगे बढ़ सकते हैं।
नए चरों के लिए रैखिक समीकरणों को हल करना:
अगर हम पहले समीकरण का से गुणन और दूसरे समीकरण का से गुणन करें और पहले को दूसरे से घटाएँ तो हम को विलोपित कर सकते हैं।
यह हमें देगा,
दूसरे समीकरण को पहले से घटाने पर,
पहले समीकरण में के मान को प्रतिस्थापित करते हैं:
अब क्योंकि हमारे पास और , हम और ज्ञात कर सकते हैं।
प्रारंभिक चरों के लिए हल करना:
इन समीकरणों में और के मानों को प्रतिस्थापित करते हैं:
इसका मतलब है:
दोनों समीकरणों का योग करने पर:
इसलिए, या की गति है।
और या की गति है।
सारांश:
रैखिक रूप में सरलीकृत होने वाले समीकरणों के युग्म को हल करने के लिए:
- वह व्यंजक ढूँढें जो दोनों समीकरणों में मौजूद है। उन्हें एक सरल रूप दें:
और मान लेते हैं। - नए चरों के लिए नए रैखिक समीकरणों के युग्म को हल करें।
- नए चरों के मानों को पुनः प्रतिस्थापित करें और प्रारंभिक चरों के लिए हल करें।
- ख़ुशी मनाएँ।
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